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राजभाषा समाचार
िुख्य अशतश्थ क े रूप िें ििारे अध्यक् व प्रबंध
शनदेिक श्ी िधु एस नायर ने सिारोि को संबोशधत
शकया।उनक े सा्थ श्ी जोस वी जे, शनदेिक (शवत्त)
एवं श्ी श्ीशजत क े नारायणन, शनदेिक (प्रचािन) अपनी
गशरिाियी उपशस््थशत से सिारोि की िोभा बढ़ाई।
सिारोि का िुभारंभ श्ीिती काशत्डका एस नायर, उप
सीएसएि कोिकाता पोत िरम्ित यूशनट प्रबंधक (शवत्त) क े ईश्र वंदना क े सा्थ िुरु िुआ जो
श्ी सुबार् ए क े , ििाप्रबंधक (िानव संसाधन व प्रशिक्ण)
क े स्वागत भार्ण क े सा्थ जारी रिा।
िुगिी कोचीन शिपयार््ड शिशिटेर्
रचना, िब्द पिेिी, शफिल्िी गीत, प्रिासशनक िब्दाविी
आशद आयोशजत की गई।सभी यूशनट क े कि्डचाशरयों ने
पूरे जोि और िोि क े सा्थ भाग शिया और काय्डक्रि
को सफिि बनाया।
काय्डक्रि क े दौरान िाननीय गृि ित्री श्ी अशित िाि
ं
समेापि समेारोि जी का संदेि श्ीिती सशरता जी, प्रबंधक (राजभार्ा)
द्ारा पढ़ा गया। तत्पचिात ििारे अध्यक् व प्रबंध शनदेिक
श्ी िधु एस नायर ने अपने अध्यक्ीय भार्ण िें आयोजन
सशिशत क े प्रयासों की सरािना की और कि्डचाशरयों की
सशक्रय भागीदारी की प्रिंसा की।अपने भार्ण िें, शिंदी
क े िशरए संचार िें एकता और सिजता को बढ़ाने की
आवश्यकता पर िोर शदया।उनकी बातों िें, िि सभी को
शिंदी भार्ा का अशधक से अशधक उपयोग करक े , सिी
िायने िें इसको सम्िान शदया जाना िै। अध्यक् एवं प्रबंध
शिंदी पखवाड़ा सिारोि का सिापन सिारोि शदनांक शनदेिक ने शपछिे वर््ड राजभार्ा क े उत्क ृ ष्ट काया्डन्वयन
ं
02 नवंबर 2024, अपराह् न 1430 बजे को सिुद्री िेतु गृि ित्रािय, भारत सरकार क े उत्क ृ टि कीशत्ड
इंजीशनयरी प्रशिक्ण संस््थान (िेटी) क े सभा भवन िें पुरस्कार से भी सम्िाशनत िोने क े शिए शिंदी अनुभाग एवं
आयोशजत शकया गया।इस काय्डक्रि का उद्ेश्य काय्डस््थि पूरे कि्डचारीदि को बधाई दी। शिंदी पखवार्ा सिारोि
िें शिंदी क े प्रयोग को बढ़ावा देना और शिंदी भार्ा क े क े शसिशसिे िें कि्डचाशरयों क े शिए और सा्थ िी कॉिेज
िित्व को उजागर करना ्था। छात्रों क े शिए भी पििी बार एक िघु शचत्र प्रशतयोशगता
का आयोजन सफिि ढंग से शकया गया जो शक एक
सरािनीय कदि िै। इस सिारोि िें पुरस्क ृ त कि्डचाशरयों
और कॉिेज छात्रों को भी अध्यक् ििोदय द्ारा सरािना
दी गई। शिंदी भार्ा को अपने प्रेरणात्िक िब्दों क े सा्थ
बढ़ावा देते िुए उन्िोंने अपना भार्ण संपन्न शकया।
काय्डक्रि को एक छोटा-सा शवराि देते िुए क ु िारी
िंशसका शवजय, श्ी शवजय क ु िार टी ए की सुपुत्री ने
अपने िधुर िब्दों िें एक कशवता प्रस्तुत की शजसने
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सागर रत्न हिंदी गृि पत्रिका