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राष्ट् ष्िमाण म ें लेख
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मौलिक कर्व््योों की आवश््योकर्ा
पर एक िोक सवक का
े
दृष्टिकोण
ए क िोकतांशत्रक सिाज िें, नागशरकों क े अशधकारों प्रबंधक (कानूनी)
र्ॉ. विष्णु एस
और शजम्िेदाशरयों क े बीच परस्पर शक्रया सतत
शवकास और सािाशजक प्रगशत की आधारशििा बनती सािाशजक, सांस्क ृ शतक और भार्ाई सिूिों क े बीच की
िै। जबशक िौशिक अशधकार अक्सर शिखर पर िोता दूरी क े शिए सेतु बनता िै। िोक सेवकों क े शिए, ये
िै , िौशिक कत्डव्यों क े िित्व को कि करक े आंका शसद्धांत सािाशजक सािंजस्य को बढ़ावा देने क े शिए
निीं जा सकता िै। संशवधान िें शनशित, ये कत्डव्य िशक्तिािी उपकरण िैं। साझा शजम्िेदाशरयों पर जोर
शजम्िेदारी, एकता और नागशरक गौरव को बढ़ावा देने क े देने वािे अशभयान और पिि एक ऐसी किानी का
शिए आवश्यक िैं। िोक सेवकों क े शिए, इन कत्डव्यों शनिा्डण कर सकते िैं जो साझा िक्षयों को प्रा्थशिकता
को सिझना और बढ़ावा देना प्रभावी िासन और राष्ट्र देते िुए शवशवधता का जश् िनाती िै। इस तरि क े
शनिा्डण का एक िित्वपूण्ड पििू िै। प्रयास सािाशजक शवभाजन को कि करने िें िदद करते
िैं, शजससे राष्ट्रीय शवकास क े शिए अनुक ू ि सिावेिी
िोक कल्याण क े संरक्क क े रूप िें, िोक सेवक वातावरण बनता िै।
अशधकार-केंशद्रत संस्क ृ शत क े प्रभावों को देखते िैं जो
अशधकार को जन्ि दे सकती िै। िौशिक कत्डव्य िोक सेवक सतत शवकास िक्षयों को आगे बढ़ाने
एक िित्वपूण्ड अनुस्िारक क े रूप िें काय्ड करते िैं िें भी िित्वपूण्ड भूशिका शनभाते िैं। िौशिक कत्डव्य,
शक अशधकार सािूशिक भिाई क े प्रशत शजम्िेदाशरयों क े शविेर् रूप से पया्डवरण संरक्ण और संसाधन संरक्ण
सा्थ-सा्थ आते िैं। संशवधान का सम्िान करना और से संबंशधत कत्डव्य, इन प्रयासों क े पूरक िैं। अपनी
पया्डवरण की रक्ा करना जैसे कत्डव्य व्यशक्तगत कायो्डं शजम्िेदाशरयों से अवगत नागशरक पया्डवरण क े अनुक ू ि
को राष्ट्रीय प्रा्थशिकताओं क े सा्थ जोड़ते िैं, नागशरकों प्र्थाओं को अपनाने, प्राक ृ शतक संसाधनों पर दबाव कि
को ऐसे शनण्डय िेने क े शिए प्रोत्साशित करते िैं जो करने और दीघ्डकाशिक शवकास िें योगदान देने की
उनक े सिुदायों और बड़े पैिाने पर राष्ट्र को िाभाशन्वत अशधक संभावना रखते िैं। िोक सेवक ऐसे पििों
करते िैं। उदािरण क े िाध्यि से नेतृत्व करक े , िोक का नेतृत्व कर सकते िैं जो सिुदायों को प्रदूर्ण कि
सेवक यि प्रदशि्डत कर सकते िैं शक इन कत्डव्यों को करने और ऊजा्ड संरक्ण क े बारे िें शिशक्त करते िैं,
अपनाने से सिावेिी शवकास और सािाशजक कल्याण को व्यशक्तगत कायो्डं को व्यापक शस््थरता उद्ेश्यों से जोड़ते
क ै से बढ़ावा शििता िै। इन शजम्िेदाशरयों की शििायत िैं।
करने से नागशरकों क े बीच जवाबदेिी और साझा उद्ेश्य
की संस्क ृ शत शवकशसत िोती िै। शकसी राष्ट्र का चशरत्र उसक े िोगों क े िूल्यों िें
प्रशतशबशम्बत िोता िै। िौशिक कत्डव्य ईिानदारी, शनष्ा
शवशवधतापूण्ड राष्ट्र िें, एकता प्रगशत का आधार िै। और कानून क े प्रशत सम्िान जैसे गुणों को प्रोत्साशित
िौशिक कत्डव्य सद्ाव, आपसी सम्िान और साव्डजशनक करते िैं - ऐसे िूल्य जो सुिासन और सािाशजक शवश्ास
संपशत्त की सुरक्ा जैसे िूल्यों को बढ़ावा देते िैं, शवशभन्न क े शिए अपशरिाय्ड िैं। रोि िॉर्ि क े रूप िें, िोक
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सागर रत्न हिंदी गृि पत्रिका