Page 24 - MAGAZINE
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            राष्ट् ष्िमाण म                   ें                                                लेख



                            ्त
            मौलिक कर्व््योों की आवश््योकर्ा

            पर एक िोक सवक का
                                              े

                                           दृष्टिकोण


               ए  क िोकतांशत्रक सिाज िें, नागशरकों क े  अशधकारों                           प्रबंधक (कानूनी)
                                                                                            र्ॉ. विष्णु एस

                  और शजम्िेदाशरयों क े  बीच परस्पर शक्रया सतत
            शवकास  और  सािाशजक  प्रगशत  की  आधारशििा  बनती  सािाशजक, सांस्क ृ शतक और भार्ाई सिूिों क े  बीच की
            िै।  जबशक िौशिक अशधकार अक्सर शिखर पर िोता  दूरी क े  शिए सेतु बनता िै। िोक सेवकों क े  शिए, ये
            िै , िौशिक कत्डव्यों क े  िित्व को कि करक े  आंका  शसद्धांत  सािाशजक  सािंजस्य  को  बढ़ावा  देने  क े   शिए
            निीं जा सकता िै।  संशवधान िें शनशित, ये कत्डव्य  िशक्तिािी उपकरण िैं। साझा शजम्िेदाशरयों पर जोर
            शजम्िेदारी, एकता और नागशरक गौरव को बढ़ावा देने क े   देने  वािे  अशभयान  और  पिि  एक  ऐसी  किानी  का
            शिए आवश्यक िैं। िोक सेवकों क े  शिए, इन कत्डव्यों  शनिा्डण कर सकते िैं जो साझा िक्षयों को प्रा्थशिकता
            को सिझना और बढ़ावा देना प्रभावी िासन और राष्ट्र  देते िुए शवशवधता का जश् िनाती िै। इस तरि क े
            शनिा्डण का एक िित्वपूण्ड पििू िै।                 प्रयास सािाशजक शवभाजन को कि करने िें िदद करते

                                                              िैं, शजससे राष्ट्रीय शवकास क े  शिए अनुक ू ि सिावेिी
               िोक कल्याण क े  संरक्क क े  रूप िें, िोक सेवक   वातावरण बनता िै।
            अशधकार-केंशद्रत संस्क ृ शत क े  प्रभावों को देखते िैं जो
            अशधकार  को  जन्ि  दे  सकती  िै।  िौशिक  कत्डव्य      िोक सेवक सतत शवकास िक्षयों को आगे बढ़ाने
            एक  िित्वपूण्ड  अनुस्िारक  क े   रूप  िें  काय्ड  करते  िैं  िें  भी  िित्वपूण्ड  भूशिका  शनभाते  िैं।  िौशिक  कत्डव्य,
            शक अशधकार सािूशिक भिाई क े  प्रशत शजम्िेदाशरयों क े   शविेर् रूप से पया्डवरण संरक्ण और संसाधन संरक्ण

            सा्थ-सा्थ आते िैं।  संशवधान का सम्िान करना और  से संबंशधत कत्डव्य, इन प्रयासों क े  पूरक िैं। अपनी
            पया्डवरण की रक्ा करना जैसे कत्डव्य व्यशक्तगत कायो्डं  शजम्िेदाशरयों से अवगत नागशरक पया्डवरण क े  अनुक ू ि
            को राष्ट्रीय प्रा्थशिकताओं क े  सा्थ जोड़ते िैं, नागशरकों  प्र्थाओं को अपनाने, प्राक ृ शतक संसाधनों पर दबाव कि
            को ऐसे शनण्डय िेने क े  शिए प्रोत्साशित करते िैं जो  करने  और  दीघ्डकाशिक  शवकास  िें  योगदान  देने  की
            उनक े  सिुदायों और बड़े पैिाने पर राष्ट्र को िाभाशन्वत  अशधक  संभावना  रखते  िैं।  िोक  सेवक  ऐसे  पििों
            करते िैं। उदािरण क े  िाध्यि से नेतृत्व करक े , िोक  का नेतृत्व कर सकते िैं जो सिुदायों को प्रदूर्ण कि

            सेवक यि प्रदशि्डत कर सकते िैं शक इन कत्डव्यों को  करने और ऊजा्ड संरक्ण क े  बारे िें शिशक्त करते िैं,
            अपनाने से सिावेिी शवकास और सािाशजक कल्याण को  व्यशक्तगत कायो्डं को व्यापक शस््थरता उद्ेश्यों से जोड़ते
            क ै से बढ़ावा शििता िै। इन शजम्िेदाशरयों की शििायत  िैं।
            करने से नागशरकों क े  बीच जवाबदेिी और साझा उद्ेश्य
            की संस्क ृ शत शवकशसत िोती िै।                        शकसी  राष्ट्र  का  चशरत्र  उसक े   िोगों  क े   िूल्यों  िें
                                                              प्रशतशबशम्बत िोता िै। िौशिक कत्डव्य ईिानदारी, शनष्ा

               शवशवधतापूण्ड राष्ट्र िें, एकता प्रगशत का आधार िै।  और कानून क े  प्रशत सम्िान जैसे गुणों को प्रोत्साशित
            िौशिक कत्डव्य सद्ाव, आपसी सम्िान और साव्डजशनक  करते िैं - ऐसे िूल्य जो सुिासन और सािाशजक शवश्ास
            संपशत्त की सुरक्ा जैसे िूल्यों को बढ़ावा देते िैं, शवशभन्न  क े  शिए अपशरिाय्ड िैं। रोि िॉर्ि क े  रूप िें, िोक


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                  सागर रत्न हिंदी गृि पत्रिका
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