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शिक्षक                                                                              लेख



            वह प्रकाि जो कभी नहीं बुझता












                                                                                              अवपिा
                                                                                               सहायक
                                                                    गु रू  -  एक  व्यशक्त  क े   जीवन  िें  बिुत  िी

                                                                       िित्वपूण्ड  भूशिका  शनभाते  िैं।  शिक्कों  का
                                                                 योगदान ज्ान प्रदान करने से किीं अशधक िै; वे
            छात्रों को उनकी पूरी क्िता तक पिुंचने क े  शिए प्रेशरत, िाग्डदि्डन और सिक्त बनाते िैं। िर कोई र्ॉक्टर,

            इंजीशनयर, वकीि, अशभनेता क े  रूप िें काि करने वािे व्यशक्त को जानता िै िानता िै, िेशकन कोई भी ऐसे
            शिक्क को निीं पिचानता शजसने ििें अपना पेिा चुनने िें िाग्डदि्डन शकया िो। िि अपना अशधकांि बचपन स्क ू ि
            िें शबताते िैं और िि शिक्क को अपनी दूसरी िां िानते िैं। वे बिुत प्रेरणादायक िोते िैं और ििें एक अच्छा
            इन्सान बनाने क े  शिए वे बिुत संघर््ड और कश्‍ठनाई से गुिरते िैं।

               सबक े  शिए एक पसंदीदा शिक्क िोता िै शजसे िि अपना आदि्ड िानते िैं और उनक े  िाग्ड  पर चिने की

            कोशिि करते िैं। शजस शिक्क ने िुझे बिुत प्रभाशवत शकया, वि ििारी गशणत की शिशक्का श्ीिती कििा राजिेखर
            ्थीं। उनक े  द्ारा संचाशित प्रत्येक कक्ा िें शिक्ण क े  प्रशत उनका प्रेि स्पटि शदखाई देता ्था। उन्िोंने िेरी सिायता
            की और शवर्य क े  प्रशत िेरे र्र को दूर करने िें िेरी िदद की। उन्िोंने कभी शकसी छात्र को र्ांटा निीं और
            अगर र्ांटा भी तो कभी अपनी आवाि ऊ ं ची निीं की और उनकी बात करने का तरीका बिुत प्यारा ्था। उनिें
            बिुत सब्र ्था और वे िर शवर्य को बार-बार तब तक सिझाती ्थीं जब तक शक सभी सिझ न जाएं। उनक े
            पढ़ाने का अपना अनू्‍ठा तरीका ्था और वे अपने छात्रों क े  सुझावों को पूरे शदि से स्वीकारती ्थी। उन्िोंने कभी
            भी अपने छात्रों से यि आग्रि निीं शकया शक वे क े वि उन्िीं क े  पढ़ाने क े  तरीक े  का पािन करें और शकसी भी
            गणना क े  शिए वैकशल्पक सिाधान स्वीकार करने को तैयार रिती ्थी और उन्िोंने अन्य छात्रों को अनुसरण करने
            क े  शिए नई शवशध भी सिझाई । िैं उनकी बिुत आभारी िूं क्योंशक उनक े  कारण िैं अपनी 10 वीं कक्ा िें अच्छे

            अंकों से सफिि िो पाई।

               अब वि ििारे स्क ू ि से सेवाशनवृत्त िो चुकी िैं, िेशकन उन्िोंने पढ़ाने क े  अपने जुनून को निीं छोड़ा िै। वे
            चेन्नई क े  एक शनजी स्क ू ि िें पढ़ाती िैं। वे एक ऐसी प्यारी औरत िैं शजन्िोंने ििेिा िुझे अपनी बेटी की तरि
            िाना िै और िुझे प्यार, प्रेरणा और प्रोत्सािन शदया िै। वि एक आदि्ड उदािरण िैं शक एक शिक्क को क ै सा

            िोना चाशिए।

               शिक्क सिाज की रीढ़ िैं। उनका सिप्डण, जुनून और कड़ी िेिनत असीि सम्िान और क ृ तज्ता की पात्र िै।
            एक अच्छा शिक्क एक खिाना िै शजसे पाने का सपना िर छात्र देखता िै।






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                  सागर रत्न हिंदी गृि पत्रिका
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