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कवितषा
सिय, वि अनंत और अशवराि संगीत,
जो इस दुशनया िें शनरंतर गूंजता रिता िै।
न कोई शवराि, न कोई ्थिाव, सजीत एस
णु
सिय की िय िें कोई किी निीं। सहायक अडभयंता
सिय, वि अनंत और अशवराि यात्री,
जो इस दुशनया िें शनरंतर चिती रिती िै। तुम्िारी गशत से िी उगता िै सूय्ड,
न कोई बाधा, न कोई शवराि, तुम्िारी गशत से िी अस्त िोता िै शदन।
सिय की गशत िें कोई किी निीं। तुम्िारी गशत से िी चिती िैं रातें,
तुम्िारी गशत से िी बीतते िैं युग।
िोक िें िर एक चीि की गशत,
तुि िी संचाशित कर रिे िो। तुम्िारी गशत से िी जन्ि िेते िैं जीव,
सूय्ड,चंद्र, धरती और आकाि, तुम्िारी गशत से िी िोती िै िृत्यु।
तुम्िारी गशत से िी चिते िैं। तुम्िारी गशत से िी चिता िै जीवन,
तुम्िारी गशत से िी शििती िै िुशक्त।
तुम्िारी गशत से िी शखिते िैं फि ू ि,
तुम्िारी गशत से िी िगते िैं फिि। जन्ि से िृत्यु तक,
तुम्िारी गशत से िी चिती िैं नशदयाँ, सिय क े सा्थ िि चिते िैं।
तुम्िारी गशत से िी बिती िैं धाराएँ। िर पि, िर क्ण,
सिय की िित्ता को दिा्डता िै।
प्रेि िें सिय तेजी से चिता िै,
इंतजार िें सिय िो जाता िै धीिा।
खुशियों िें सिय िुस्क ु राता िै,
दुख िें सिय रुिाता िै।
सिय क े सा्थ जुर्कर
जीवन को सफिि बनाएं।
सिय की कीित सिझें,
सिय का करें सिी उपयोग।
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सागर रत्न हिंदी गृि पत्रिका