Page 35 - MAGAZINE
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कहषानी

                                       दर से
                                           े

                                       आनेवाली
                                             ट्ेन









                                                                                            आद्ा्ड अशनि
                                                                                          पडरयोजना अचधकारी
                   वट्डन नािक व्यस्त ििर िें, एक युवा िशििा शजसका नाि शिया ्था, अपनी रचनात्िकता
               शरक े  शिए जानी जाती ्थी, िेशकन सिय पर निीं आने क े  शिए भी।वि अक्सर काि पर देर
            से पिुंचती ्थी, शजससे िित्वपूण्ड बै्‍ठकें और र्ेर्िाइन छूट जाती ्थीं।उसक े  बॉस, श्ी काट्डर, ने
            उसे कई बार चेतावनी दी ्थी, िेशकन शिया ििेिा सुधारने का वादा करती ्थी।


               एक शदन, शिया को एक िित्वपूण्ड सम्िेिन िें अपने शवचार प्रस्तुत करने क े  शिए आिशत्रत
                                                                                                         ं
            शकया गया।अच्छा प्रभाव र्ािने क े  शिए उसने कई अिाि्ड सेट शकए और अपनी यात्रा की योजना
            बनाई।िािाँशक, सम्िेिन क े  शदन, वि अपनी प्रस्तुशत तैयार करने िें सिय शबता बै्‍ठी और रेिवे
            स्टेिन की ओर दौड़ पड़ी।
                                                          जब वि पिुंची, तो ट्रेन अभी-अभी शनकि चुकी ्थी।
                                                       िड़बड़ाते  िुए  उसने  अगिी  ट्रेन  का  इंतिार  शकया,

                                                       िेशकन वि भी देरी से आई।जब तक वि सम्िेिन िें
                                                                    पिुंची, उसकी प्रस्तुशत का सिय सिाप्त
                                                                        िो चुका ्था।
                                                        “पंगक्चूएशिटी”
                                                         यानी सिय पर
                                                        आना व्यशक्तगत और   एक िित्वपूण्ड सबक सीखा: “सिय
                                                                             उदास िोकर, शिया ने उस शदन
                                                        पेिेवर जीवन दोनों िें
                                                        सफििता और सम्िान
                                                           की क ु ंजी िै।
                                                                          शकसी का इंतिार निीं करता ।”
                                                                        तबसे  उसने  सिय  पर  आने  को
                                                                    प्रा्थशिकता देना िुरू शकया।उसने अपने
                                                            काय्डक्रि को बेितर तरीक े  से व्यवशस््थत शकया
                                                            और िर प्रशतबद्धता क े  शिए जल्दी पिुंचने िगी।


                                                                      शिया की सिय क े  प्रशत नए निशरए ने
                                                                   न क े वि उसक े  कशरयर िें सुधार शकया
                                                                 बशल्क  उसक े   सियोशगयों  का  शवश्ास  और
                                                                प्रिंसा भी अशज्डत की। इस किानी का नैशतक
                                                              यि  िै  शक  “पंगक्चूएशिटी”  यानी  “सिय  पर
                                                                 आना” व्यशक्तगत और पेिेवर जीवन दोनों िें
                                                                  सफििता और सम्िान की क ु ंजी िै।


                                                                                                         35
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