Page 34 - MAGAZINE
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कहषानी
             जीवन साथी


                               (मेहबूब)                            "  कोचीन  शिपयार््ड  शरशक्रयेिन  क्िब
                                                                   द्ारा  आयोशजत  अशखि  क े रि  बाि
                                                                   उत्सव क े  शसिशसिे िें किानी िेखन
                                                                   प्रशतयोशगता िें प्र्थि पुरस्कार "

               ए  क  सुंदर  सा  गाँव  ्था।बिती  नशदयाँ,  शचशर्यों                           क ई कामे्डल सेंट्रल स्कल,
                                                                                                ददया नायर
                                                                                                           ू
                                                                                             े
                  शक  चिचिािट,  सुंदर  फि ू ि  से  सब  उस  गाँव
                                                                                                         ु
            की सुंदरता का कारण ्था।विाँ एक छोटे से घर िें                                     मेुहम्ा, आलप्ष़ा
            एक िड़की रिती ्थी। उसका नाि सीता ्था।शदखने         पता चि सक े ।जब सीता स्क ू ि पिुँची तो राि ने सीता
            िें वि बिुत सुंदर न ्थी पर वो पढाई िें बिुत अच्छी   से पूछा क्या तुम्िें क ु छ परेिानी िै? तब उसने क ु छ निीं
            ्थी।  उसकी  कक्ा  िें  उसक े   जैसे  पढने  वािा  कोई   किा।राि ने उस आदिी क े  बारे िें उससे पूछा, तब वो
            निीं ्था।सभी उससे बिुत प्यार करते ्थे। इतना सब    फिफिक-फिफिककर रोने िगी।उसे रोते िुए देखकर राि
            िोने पर भी उसक े  घर की शस््थशत उसे परेिान रखता   ने वजि पूछा।तब उसने किा शक वो आदिी उसे ििेिा
            ्था।उसकी िाँ बीिार ्थी और पापा अक े िे घर संभािते   परेिान करता िै और इसक े  बारे िें वो अपने िाता-
            ्थे।उन्िें शदन िें एक बार िी खाना शििता ्था।इस    शपता को निी बता सकती क्योंशक वो उसकी शिक्ा बंद
            शस््थशत से अपने िाता- शपता को बचाने क े शिए सीता   कर देंगे।ये सब सुनकर राि ने उसे गिे िगाया और
            बिुत पशरश्ि करती ्थी।ऐसे एक शदन जब वो पढने        किा, िैं तुम्िारे सा्थ िूँ।चािे क ु छ भी िो जाए, कोई
            क े शिए  स्क ू ि  जा  रिी  ्थी,  तब  अचानक  उसे  कोई   भी आए िैं तुम्िारी सभी परेिाशनयों को दूर करू ं गा।ये
            पीछा करते िुआ िेिसूस िुआ।उसने जब पीछे िुर्कर      सुनकर सीता बिुत खुि िुई और उसने राि को गिे
            देखा तो एक इंसान ने उसे पकड़ा।उसे वो अच्छा निीं    िगाया।अगिे शदन राि उसक े  सा्थ स्क ू ि गया।जब
            िगा।वो  आदिी  उसे  शफिर  परेिान  करने  िगा।उसने   वो आदिी आया तो राि ने उससे किा “ ये िेरी दोस्त
            उन्िें छूने से िना शकया और विाँ से भाग गई।जब वो   िै अगर तुिने  इसे एक और बार िा्थ िगाया तो िैं
            स्क ू ि पिुँची तो उसे बिुत अस्वस््थ ििसूस िुआ।उसने   तुम्िें जाने निी दूंगा।” ऐसा किकर राि सीता का िा्थ
            इस शवर्य क े  बारे िें शकसी को भी निीं बताया।उसे   पकड़कर चिा गया।इसक े  बाद सीता क े  सा्थ राि
            परेिान देखकर अध्याशपका ने उस से कारण पूछा।तब      ििेिा ्था।सीता  को  राि उसका  जीवन  सा्थी  जैसा
            उसने  किा  शक  बीिारी  की  वजि  से  उसे  अस्वस््थ   ििसूस िो रिा ्था।उस शदन से िेकर अब तक राि
            ििसूस िो रिा िै।अध्याशपका ने उसे दवाई दी और चिी   सीता की िर एक परेिानी को दूर करता और उसक े
            गई।स्क ू ि क े  बाद वो तेिी से घर गई।उसने शकसी    घर आकर उसक े  िाता-शपता की िदद करता।राि ने
            से भी बात निीं शकया।उसे देखकर उसक े  िाता-शपता    सीता की पूरी पढाई का खचा्ड उ्‍ठाया।अब उनकी दोस्ती
            ने कारण पूछा।उसने इस शवर्य क े  बारे िें उन्िे निी   ऐसा  िुआ  शक  िि  कि  सकते  िै  शक  राि क े   शबना
            बताया क्योंशक अगर उसने  वो आदिी क े  बारे िें     सीता निीं और सीता क े  शबना राि निीं।जैसे श्ीराि
            बताया तो उसक े  िाता-शपता र्रेंगे और उसे स्क ू ि      और देवी सीता िोती ्थी उसी प्रकार उनकी दोस्ती
            जाने क े शिए िना करेंगे।इसक े  र्र से उसने                भी  गिरी  ्थी।सभी  िोगों  को  अपने  जीवन
            उन्िें क ु छ निी बताया।जब वो अगिे शदन                        क े  िर पढाव िें एक दोस्त िोगा।िेशकन
            स्क ू ि जा रिी ्थी तो उस आदिी ने                                 भाग्यिािी  िोगों  को  िी  अपने  िर
            शफिर से उसका पीछा शकया।उसने उस                                       पढाव  िें  ऐसा  एक  दोस्त  िोगा
            आदिी  से  झगर्ा  शकया  और  चिी
            गई।राि ये सब देख रिा ्था।राि
                  सीता की कक्ा िें पढता


                                                                              जो  उसक े   शदि
                                                                  क े  एक टुकर्े की तरि ििेिा- ििेिा
                                                 ्था    और    क े शिए रिेगा।सच्चा प्यार या दोस्ती ििेिा रिता
                                     उसे  अस्वस््थ  देखकर     िै।ििें अपनी दोस्त की सुरक्ा करनी चाशिए ताशक कोई
                              उस ने सोचा शक कि सीता को        भी बुरा व्यशक्त उसे बुरी तरि न छू सकें।
            स्क ू ि आते िुए देखे ताशक उसक े  परेिानी की वजि


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                  सागर रत्न हिंदी गृि पत्रिका
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