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खलबली से यषात्षाित्त
ृ
पेरिस तक
एक प्रवासगिन अफिसाना
ि 28 जून 2024 ्था, वि शदन शजस का िुझे
यबेसब्री से इंतिार ्था। िेरा यूरोप यात्रा का
समी एस
णु
सपना आशखरकार सच िो रिा ्था। कोचीन अंतरा्डष्ट्रीय प्रबंधक
िवाई अर्र्े क े प्रस््थान द्ार पर खड़े िोकर, िैंने िाता- आई, “क्या आप एिबीए की शर्ग्री िोने क े बावजूद यि
शपता और पशत को शदि से शवदाई दी, जो िुझे छोड़ने पासपोट्ड िेकर चि रिे िैं?”
आए ्थे। यि िेरी पििी एकि अंतरा्डष्ट्रीय यात्रा ्थी, िैं िैरान िो गई। िैंने िांत रिने की कोशिि करते
और उत्साि और शचंता का शिश्ण साफि तौर पर ििसूस िुए पूछा, “क्या कोई सिस्या िै, सर?”
िो रिा ्था।
“क ृ पया यिां इंतिार करें। िुझे अपने उच्च
िैं याशत्रयों की कतार िें खड़े िोकर अशधकाशरयों से बात करना पर्ेगा,” उन्िोंने
प्रवासगिन क े शिए आगे बढ़ी। जब किा और िेरा पासपोट्ड िेकर बािर चिे गए।
िेरी बारी आई, तो िैंने अपना पासपोट्ड
अशधकारी को सौंपा । उन्िोंने पासपोट्ड िैं विीं श्ठ्ठकर खड़ी रिी, िेरा शदि बै्ठा
देखा और िुझसे पूछा, “आप क्या जा रिा ्था। यूरोप की िेरी बिुप्रत्याशित
करते िैं?” यात्रा अचानक िेरे िा्थों से शफिसिती िुई सी
िग रिी ्थी। िेरे पीछे कतार िें खड़े िोगों
“िैंने जवाब शदया, िैं कोचीन की आंखें उत्सुकता और धारना से भरी िुई
शिपयार््ड िें प्रबंधक क े पद पर काि िुझे घूर रिे ्थे। ऐसा िगा जैसे िुझ पर
करती िूँ।” कोई गंभीर आरोप िगाया जा रिा िो।
उनकी भौंिें तन गईं। “प्रबंधक क े एक िंबी प्रतीक्ा क े बाद, िुझे एक अिग
पद पर?” किरे िें िे जाया गया। एक िशििा अशधकारी
“िां” िैंने किा, यि सोचते िुए शक िेरे पास आई और िुझसे पूछताछ करने िगी:
िेरा पदनाि इतना चौंकाने वािा क्यों िग आप क्यों यात्रा कर रिी िैं? आप पेशरस िें
रिा िै। शकससे शििने जा रिी िो? जब िैंने अपनी
बिन और उसक े पशरवार का नाि बताया, तो
उन्िोंने पूछा, “आपकी योग्यताएं क्या िै?”
उन्िोंने उनका शववरण िांगा।
िैंने किा, “िैंने एिबीए िाशसि की िै।”
तभी एक और अशधकारी आएं, उनक े
“एिबीए?” उन्िोंने संियात्िक रूप से वदी्ड पर कई सारे बैज िगे िुए ्थे। उनक े
दोिराया । उनकी प्रशतशक्रया ने िुझे असिज कर पूछताछ का तरीका बिुत िी क्ठोर ्था -
शदया। वे इतना संदेिात्िक क्यों ्थे? एक क े बाद एक सवाि पूछे गए, और िुझे
तभी अचानक एक चौंकाने वािी बात सािने जवाब देने का कोई िौका िी निीं शििा।
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सागर रत्न हिंदी गृि पत्रिका